प्यार भरी शायरी | बेहतरीन लव शायरी ( हिंदी में लव शायरी ) Love Shayari in hindi
यूँ ही नहीं होता
प्रेम की कोंपले ही
देती है ग़ज़ल को मुकम्मल अलफ़ाज़
कण्ठ को मीठा स्वर ..
क्यूँ कि
यूँ ही नहीं
चमक उठती हरित तृणों पर
ओस की बूँद…..
मोर यूँ ही नही नाचता
गगन में घटाएं देखकर …..
खिलती नही कुमुदनी
चाँद से मिलने बेताब..
यूँ ही नही जान देता लहनासिंह
रेशम से कड़े सालू पर
और मधुलिका यूँ नही मांगती
देशद्रोही के साथ मृत्यु …..
प्रेम लिख जाते है ग़ालिब,
घनानंद और विहारी से ले
आज के कवि तक
और लिखेगें
अनन्त काल तक …
कोई तो सिरा है
कुछ तो है
छुपा छुपा सा
जोड़ता है इस संसार को
तुमको ,हमको
और हम सबको
“प्रतीक्षारत ”
जैसे सूरज थककर
रात की बांहों में
जा समाता है
रात उसकी आग को
बुझाती है उस पहर
जब सन्नाटा गहराता है
उसे ओस से नहला
चांद का शीतल
टीका उसके मस्तक
पर सजाकर
उसकी आंखों में
सुरमा लगा
हौले से स्पर्श देती है
हवा के ठंडे झोंको का
फिर अपने काले ,घने ,लम्बे बालों
में ढक लेती है उसको
कभी महसूस करो
उस प्रेम को
जो पृथ्वी के
आदिकाल से चला आ रहा है
और चिरकाल तक चलेगा
सूरज और रात का
अद्भुत मिलन
प्रतीक्षारत हूँ
रात बन ।।
सबसे महँगा प्रेम धन,इसका अजब सुभाय
बाँटे से बढ़ता सदा,जोड़े से घट जाय
जुड़ा हुआ है प्रेम से,धरती और आकाश
नक्षत्रों को जोड़ता,आपस का विश्वास
जड़ चेतन से प्रेम ही, जग का मूलाधार
आपस में जुड़क रबढ़े, वसुधा का परिवार,
नाजुक धागा प्रेम का, नाजुक मन से थाम
भला भला ही सोचना, भला मिले परिणाम
वसुधा एक कुटुम्ब है, प्रेम बाँट लें यार
तब आपस में जीत क्या, क्या आपस में हार
प्रेम रहने दो, बिन बोले ही
मत मांगों प्रेम मुझसे
मत चाहो प्रेम
कहा था, तुमसे
अगर मुझे तुमसे हो गया
तो बच न पाओगे
मेरे प्रेम के सागर में
डूबते ही जाओगे
शायद इतना पा जाओगे
कि सह न पाओगे
कहा था ….
मेरा प्रेम सागर है
अथाह
जिससे भागोगे
तुम
घबरा से जाओगे ….
तुम्हारी बाहें
बहुत छोटी
समेट न पाओगे
और ढूंढने लगोगे
वो रास्ता जहाँ
सागर की सुनामी से
बच सको…
कहा था
मत छेड़ो मुझे
तुम्हारा निकलना
मुश्किल है
बाँहो के घेरे भी
मेरे हैं, मैंने ही घेर
रखा है….
बस भरम,
तुम्हारा है
बच के निकलना चाहो
तो भी
रास्ता मुझे ही देना होगा
चले जाने के बाद
तरसोगे भी तुम ही
पर मानोगे नही
कि तुम्हारी बाहें
मेरी जलराशि को
समेटने के लिए
छोटी ही हैं
अंततः….
इसलिए
तुम्हारा चले जाना ही
अच्छा है
क्योंकि
मै चाह के भी
संकुचित नही
हो सकती
तुम चाह के भी
विस्तृत हो
नही
सकते…….